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हमारे लिए संगीत से जुड़ना बेहद जरूरी है- भुवनेश कोमकली

Written By Unknown on 3 मई 2018 | 6:58:00 pm

प्रेस विज्ञप्ति
विरासत 2018 का यादगार समापन
हमारे लिए संगीत से जुड़ना बेहद जरूरी है- भुवनेश कोमकली

चित्तौड़गढ़। 3 मई, 2018

संस्कृति व भारतीय संगीत की श्रेष्ठ परम्परा को पीढ़ी दर पीढ़ी संजोने को कृत संकल्प संस्था स्पिक मैके का प्रयास मानो कलचित्तौड़गढ़ के विद्यालयों में जीवन्त होते दिखा। अवसर था स्पिक मैके की विरासत श्रृंखला 2018 के समापन समारोह में पंडित कुमार गंधर्व के पौत्र भुवनेश कोमकली के शास्त्रीय गायन का। शास्त्रीय गायन के  क्षेत्र में स्वर्णिम अक्षरों से यदि पंडित कुमार गंधर्व का योगदान अंकित है तो यह परम्परा उनके पुत्र मुकुल शिवपुत्र से होती हुई उनके पौत्र भुवनेश तक खुबसूरत अंदाज से जारी है। बीते समय में खुद कुमार गंधर्व और उनकी पुत्री कलापिनी कोमकली अपनी जादुई गायकी से शहर के श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर चुके है। इसी कड़ी में बुधवार को भुवनेश की प्रस्तुतियां हुई।

पहला आयोजन शहर के गांधीनगर स्थित विशाल अकादमी सीनियर सैकण्डरी स्कुल में सुबह साढ़े आठ बजे हुआ। स्पिक मैके के वरिष्ठ सलाहकार और कार्यक्रम संयोजक बंशीधर कुमावत ने बताया कि दीप प्रज्ज्वलन की पुण्य परम्परा के साथ कार्यक्रम की शुरूआत कलागुरू भुवनेश उनके संगतकार तबला वादक विनोद लेले और हारमोनियम वादक विनय मिश्रा ने की। माल्यार्पण कर कलागुरूओं का स्वागत कामरेड आनन्द छीपा और राष्ट्रीय सलाहकार जे.पी भटनागर ने किया।

कोमकली ने मालवी लोक की खुशबू बिखेरते हुए विद्यार्थियों के समक्ष खुबसुरत गायन प्रस्तुत किया जिनकी संगत में बनारस के दो संगतकार ने इस मधुर अंदाज में की कि विद्यार्थी कल्पना की खुबसुरत वादियों में खो गये। गुरू ने विद्यार्थियों को विभिन्न रागों की जानकारी भी दी। कार्यक्रम के अन्त में मीरा भजन प्रस्तुत कर उपस्थित विद्यार्थियों श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। कार्यक्रम का संचालन स्पिक मैके युवा वोलेन्टियर शैलेष ने किया। वही कलागुरू के जीवन, उनके योगदान, उपलब्धियों से विद्यालय की छात्रा अशफिया ने रूबरू करवाया।

दूसरा आयोजन शाम साढ़े छः बजे शहर के सेन्ट्रल अकादमी विद्यालय में हुआ। मेडिटेशन विद क्लासिकल म्यूजिक के नाम से घोषित यह आयोजन विरासत के समापन को यादगार बनाने में कामयाब रहा। शास्त्रीय गायन के रसिक श्रोताओं के लिए रखा गया यह खुला आयोजन कोमकली की मीठी आवाज से उपस्थित श्रोताओं पर अमिट छाप छोड़ गया। 

कार्यक्रम की शुरूआत माँ सरस्वती के समक्ष द्वीप प्रज्ज्वलन कर की गई। इस परम्परा का निर्वहन कला गुरू भूवनेश उनके संगतकार और स्पिक मैके के वरिष्ठ सलाहकार व विद्यालय प्रधानाचार्य अश्लेष दशोरा ने किया। साथ ही विद्यालय संगीत प्राध्यापक हेमांग जी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।  कार्यक्रम की शुरूआत में उपस्थित श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए कोमकली ने कहा कि स्पिक मैके असाधारण संस्था है जो कला के संवर्धन में महती भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए जुड़ना बेहद जरूरी है। यदि हम संगीत से जुड़ेंगे तो यह खुद-ब-खुद हमारे जीवन को महका देगी। क्योंकि संगीत में अद्भुत शक्ति है जो हमें बांधे रखती है। अपनी मालवी लोक की खुशबु से परिपूर्ण गायकी पेश कर उन्होंने रसिक श्रोतओं को आन्दित कर दिया। 

कार्यक्रम के अन्त में कबीर भजन उड़ जायेगा हंस अकेला में यह आनन्द चरम पर था। कार्यक्रम का संचालन स्पिक मैके युवा वोलियन्टर प्रांजल दवे ने किया। कार्यक्रम के अन्त में उपस्थित सभी श्रोताओं ने अपने स्थान पर खड़़े होकर पण्डित कुमार गंधर्व की संगीत परम्परा के वाहक कला गुरू भुवनेश कोमकली एवं उनके संगतकारों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के दौरान स्पिक मैके वरिष्ठ सलाहकार के.एस. कंग, श्रीमती बलजीत कंग, जे.पी. भटनागर, नन्दकिशोर निर्झर, संजय कोदली, भगवतीलाल सालवी, डॉ. संगीता श्रीमाली, मुबारक खान, डॉ. मंगेश जोशी, प्रधानाध्यापक नटवर लाल जागेटिया, प्रभा पुरोहित, डॉ. साधना मंडलोई सहित कई गणमान्य श्रोतागण उपस्थित थे। अन्त में आभार स्पिक मैके के राष्ट्रीय सलाहकार माणिक ने व्यक्त किया।

कृष्णा सिन्हा
प्रेस सचिव
स्पिक मैके चित्तौड़गढ़ 
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